भगवन! मेरी मुराद पूरी आज कर दे,
मेरी तबीयत ही कुछ नासाज कर दे।
मेरी तबीयत ही कुछ नासाज कर दे।
मेरी तबीयत ही कुछ नासाज कर दे,
ये मन भी बहुत मचलने लगा है।
उल्टी सीधी राहों पे चलने लगा है,
अश्कों की बूँदे गिनता है।
महताब से रोशनी छिनता है,
इसके अंदर की अगन आफताब को
भी सरताज कर दे।
ये मन भी बहुत मचलने लगा है।
उल्टी सीधी राहों पे चलने लगा है,
अश्कों की बूँदे गिनता है।
महताब से रोशनी छिनता है,
इसके अंदर की अगन आफताब को
भी सरताज कर दे।
भगवन! मेरी मुराद पूरी आज कर दे,
मेरी तबीयत ही कुछ नासाज कर दे।
मेरी तबीयत ही कुछ नासाज कर दे।