Friday, February 8, 2019

DHOKHA

बेकाबू हाथें बात करती है
वहनी की धार से|
क्षत विक्षत पड़ा है मानव
धोखे की प्रहार से|
बात मे आकर बात न जाने,
कौन किस जात का जात न जाने,
रहा न जाता अपनो के पीड़ा की
कहार से|
क्षत विक्षत पडा मानव
धोखे की प्रहार से| 

Saturday, February 2, 2019

SHAYARI



हमने हर मोड़ पर शिकस्त खायी 
काम नहीं आए कोई तरकीब मेरे|
उस बेवफा को भूल चुका हूँ मैं पर,
तुम बहुत याद आते हो रकीब मेरे|







रिंदा रखते हो क्यूँ हलाल के वक्त,
उनको दिदार करने दिजिए|
मौत का ही फरमान सही लेकिन,
पहले इश्क का इजहार करने दिजिए|











DHOKHA

बेकाबू हाथें बात करती है वहनी की धार से| क्षत विक्षत पड़ा है मानव धोखे की प्रहार से| बात मे आकर बात न जाने, कौन किस जात का जात न जाने, र...